विडम्बना आजादी की

विडम्बना आजादी की

By विनोद कुमार मिश्र (आई.पी.एस.)

क्या आज़ादी सिर्फ़ एक शब्द है, या एक अधूरा वादा? विनोद कुमार मिश्र (आई.पी.एस.) द्वारा लिखित "विडम्बना आजादी की" में, लेखक भारतीय समाज और राजनीति की गहरी परतों को खोलते हुए आजादी के बाद की उन विडंबनाओं पर प्रकाश डालते हैं जो आज भी हमें जकड़े हुए हैं। यह किताब केवल इतिहास नहीं बताती, बल्कि यह सवाल करती है कि क्या हम वास्तव में उस स्वतंत्रता को जी रहे हैं जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने संघर्ष किया था। मिश्र जी का स्पष्ट और निर्भीक विश्लेषण पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है। #विडम्बनाआजादीकी #विनोदकुमारमिश्रआईपीएस #नईकिताबें2025 #भारतीयराजनीति #सामाजिकलेखन

₹695

Coming Soon

You Might Also Like

We're still hunting for the perfect recs for this book.

Reviews